मॉनसून में सेहतमंद रहने के लिए क्या खाएं और क्या न खाएं?

मॉनसून में सेहतमंद रहने के लिए क्या खाएं और क्या न खाएं?

सेहतराग टीम

मॉनसून यानी सावन का महीना शुरू हो गया है। इस मौसम में लोगों को खाने-पीने की काफी इच्छा होती है लेकिन कई ऐसी चीजें होती हैं जो लोगों को खाने से मना भी की जाताी हैं। क्योंकि यह मौसम अपने साथ कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी लाता है। इस मौसम में कई तरह के संक्रमण और एलर्जी होने की संभावना भी ज्यादा रहती है। खासतौर पर भोजन और पानी-जनित बीमारियां इस समय बहुत होती हैं। अगर ध्यान न दिया जाए तो पाचन तंत्र पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। तो क्या खाकर बने रह सकते हैं सेहतमंद, जान लेना है जरूरी।

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मॉनसून में सेहतमंद रहने के लिए क्या खाएं और क्या न खाएं (what to eat and what not to eat to stay healthy in monsoon season in HIndi):

हरी पत्तेदार सब्जियां

पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, बथुआ और सरसों का सेवन इस मौसम में नहीं करना चाहिए। इसकी मुख्य वजह यह है कि इस मौसम में साग में सबसे ज्यादा कीड़े और बैक्टीरिया पनपते हैं। खासतौर पर सैलेड या कच्ची सब्जियां इस मौसम में बिलकुल नहीं खानी चाहिए। अगर साग खाना जरूरी ही हो तो पहले इसे अच्छी तरह धो लें। कच्ची सब्जियां और सैलेड्स तो इस मौसम में बिलकुल न खाएं क्योंकि वे जल्दी खराब होते हैं। फलों को काटने के तुरंत बाद खा लें। इन्हें काट कर देर तक न रखें। सब्जियों को भी देर तक काट कर न रखें।

बैंगन

बरसात में बैंगन में जैसे ही फूल और फल आने लगता है, इसमें भी कीड़ा लगने लगता है। ये कीड़े इस तरह पौधे पर हमला बोलते हैं कि लगभग 70 प्रतिशत तक बैंगन नष्ट हो जाता है। इसीलिए बरसात के मौसम में बैंगन खाने को मना किया जाता है।

दूध, दही, छाछ

मानसून में पाचन क्षमता कमजोर होती है। दूसरी ओर वातावरण गर्म और उमस भरा होता है, जिस कारण डेयरी प्रोडक्ट्स में बैक्टीरिया पैदा होने की संभावना अधिक होती है। इस मौसम में कोल्ड-कफ भी होता है, चूंकि दही की तासीर ठंडी होती है, इसलिए गले और पेट संबंधी तकलीफों से बचने के लिए दही, छाछ या लस्सी का सेवन कम करने की सलाह दी जाती है। अगर दूध पीते हों तो ध्यान दें कि वह गर्म और ताजा हो। इसमें थोड़ी सी कच्ची हल्दी मिला कर पीने से पेट को राहत रहती है क्योंकि हल्दी में एंटी-इन्फ्लेमेटरी तत्व पाए जाते हैं।

टमाटर, शिमला मिर्च

टमाटर या शिमला मिर्च में कुछ क्षारीय तत्व पाए जाते हैं। दरअसल यह केमिकल कंपाउंड्स का ग्रुप है, जिसे एल्कालॉयड्स कहा जाता है। ये टॉक्सिक केमिकल्स होते हैं, जिनका निर्माण पौधे खुद को कीट-पतंगों से बचाने के लिए करते हैं। चूंकि बारिश के मौसम में कीड़े बहुत ऐक्टिव होते हैं, इसलिए इन सब्जियों को खाने की मनाही होती है या इनका सेवन कम से कम करने को कहा जाता है। एल्कालॉयड एलर्जी से त्वचा में खुजली, नॉजिया, स्किन रैशेज हो सकते हैं। हालांकि इन सब्जियों से एलर्जी के लक्षण व्यक्ति में कम उम्र से ही पनपने लगते हैं, बाद में ऐसे लक्षण कभी-कभार ही देखने को मिले हैं। अगर किसी को ऐसी एलर्जी नहीं है तो वह इन सब्जियों को पका कर सीमित मात्रा में खा सकता है। 

नॉनवेजिटेरियन फूड्स

कुछ खास किस्म की फिश या प्रॉन्स में यह मौसम ब्रीडिंग का होता है, जिससे उनके स्वाद पर प्रभाव पड़ता है। बरसात में मछली भी तेजी से खराब होती है। फिश या कोई भी नॉन-वेजटेरियन फूड के जल्दी खराब होने के कारण ही इस मौसम में इन्हें न खाने की सलाह दी जाती है।

 

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